उसने कहा था पाठ के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी हैं गुलेरी जी का जन्म 7 जुलाई 1883 को जयपुर के राजस्थान में हुआ था गुलेरी जी ने कुल तीन ही कहानियां लिखी और उनके बाल पर कहानीकार के रूप में हिंदी में अमर हो गए उनकी कहानी विषय वस्तु भाषा शैली और शिल्प के कारण अपने समय से बहुत आगे की रचनाएं प्रतीत होती है इस आर्टिकल में चंद्रधर शर्मा गुलेरी के द्वारा लिखा गया उसने कहा था पाठ का सारांश वस्तुनिष्ठ प्रश्न बताया गया है जिसे पढ़ सकते हैं।
उसने कहा था चंद्रधर शर्मा गुलेरी जीवन परिचय?
12th Hindi Usne Kaha Tha Summary : उसने कहा था पाठ के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी हैं गुलेरी जी का जन्म 7 जुलाई 1883 को जयपुर के राजस्थान में हुआ था चंद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन 12 सितंबर 1922 को हुआ था चंद्रधर गुलेरी जी का मूल निवास स्थान जलेबी नामक ग्राम जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश है उनके पिता का नाम पंडित शिवराम इन्होंने शिक्षा बचपन में संस्कृत की शिक्षा 1899 में इलाहाबाद तथा कोलकाता विश्वविद्यालय से एंट्रेंस तथा मैट्रिक 1901 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बा किया चंदशर्मा गुलेरी 20वीं सदी के प्रथम चरण में हिंदी गद्य साहित्य के एक प्रमुख लेखक थे चंद्र शर्मा गुलेरी अपने समय में हिंदी संस्कृत अंग्रेजी आदि भाषाओं के प्रकांड विद्वान थे गुलेरी जी ने कुल तीन कहानियां लिखी उन्हीं के बल पर कहानीकार के रूप में हिंदी में अमर हो गए चंदन शर्मा गुलेरी की कहानी विषय वस्तु भाषा शैली और शिल्प के कारण अपने समय से बहुत आगे की रचनाएं प्रतीत होती है इस पैराग्राफ के नीचे उसने कहा था पाठ का सारांश हिंदी में वस्तुनिष्ट प्रश्न एवं संक्षिप्त में चंद्रधर शर्मा गुलेरी के द्वारा लिखा गया उसने कहा था पाठ को सरल भाषा में समझाया गया है जिसे आप पढ़ कर उसने कहा था पाठ के बारे में विस्तार जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उसने कहा था चंद्रधर शर्मा गुलेरी संक्षिप्त जीवन परिचय?
12th Hindi Usne Kaha Tha : उसने कहा था कहानी में कुछ महत्वपूर्ण बातें जो आप सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण है उसने कहा था कहानी का पूरी सारांश को इस पैराग्राफ में समझाया गया है चंद्रधर शर्मा गुलेरी 20 सी सती के प्रथम चरण में हिंदी गद्य साहित्य के प्रमुख लेखक हैं और गुलेरी जी अपने समय में हिंदी संस्कृत अंग्रेजी आदि भाषाओं के प्रखंड विद्वान थे उनकी गहरी गाती थी पुरातत्व इतिहास भाषा शास्त्र आदि विषयों का उनका ज्ञान अपने समय में अधिकतम और तलाश सरपी माना जाता है वेद विधि युग के भी एक प्रमुख निबंधकार और बहुमान्य विद्वान थे गुलेरी जी ने कल तीन कहानी लिखे हैं सुख में जीवन बुद्ध का कांटा उसने कहा था और इन तीन कहानियों के बल पर हिंदी में अमर हो गए हुए विद्वान एक चार्जनात्मक भाषा शैली में कल्पना और यथार्थ के ऐसे संतुलित संधान के साथ कहानी लिख सका इस कहानी में प्रस्तुत उसने कहा था उनकी अमर रचना है क्योंकि कहानी में विकास के मिल का पत्थर मानी जाती है यह एक कालजई प्रसिद्ध फिल्मकार राय इस कहानी पर बनाई गई थीकहानी अमृतसर के भीड़ भरे बाजार से शुरू होती है जहां 12 वर्ष का लड़का लाना सी 8 वर्ष का एक लड़की को टांगे के नीचे आने से बचाता है और फिर लड़का लड़की को यह पूछते हुए छेड़ता है तेरी कुरमई यानी मंगनी हो गई है लड़की दत्त का कर भाग जाती है एक दिन वह धात का कर भागने की बजाय हां कह देती है लड़की बोली हां कल हो गई है देखते नहीं यह रेशम के फूलों वाली शालू लाना सी इसके बाद भेड़ प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे पर होती है वह याद करता है की छुट्टी के बाद घर से लाभ पर जाते थे इस कहानी की घटनाओं में स्वाभाविक नाटक किया है जो मन पर अपने उत्कर्ष और संरक्षण करती है गतिशील के कारण जबरदस्त असर डालती है इस तरह प्रभाव नीति जो कहानी का प्राण मानी जाती है और फिर अद्भुत रचना है वातावरण की सृष्टि करने में लेखक को अपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है इस कहानी में लाना सिंह का बहुत ही बड़ा किरदार है।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी शिक्षा वृत्ति संपादन रचनाएं?
उसने कहा था पाठ के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी हैं इन्होंने कल तीन कहानियां लिखी, है इनका शिक्षा वृद्धि संपादन रचनाएं विस्तार से इस आर्टिकल के नीचे बताया गया है जिससे आप पढ़ सकते हैं।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी शिक्षा : चंद्र शर्मा गुलेरी जी की शिक्षा की बात किया जाए तो बचपन में संस्कृत की शिक्षा 1899 में इलाहाबाद तथा कोलकाता विश्वविद्यालय से क्रमशः एंट्रेंस तथा मैट्रिक की परीक्षा 1901 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी वृत्ति : चंद्रधर शर्मा गुलेरी वृत्ति 1904 में जयपुर दरबार की ओर से खेतड़ी के नाबालिक राजा जैसे के अभिभावक बनाकर मेयो कॉलेज अजमेर आ गए। और फिर जयपुर भवन छात्रावास के जैसे के अभिभावक बनाकर मेयो कॉलेज अजमेर में आ गए आगे जयपुर छात्रावास के अधीक्षक 1916 में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष और फिर अंतिम दिनों में मदन मोहन मालवीय के निमंत्रण पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से परिचय विभाग के कार्यवाहक प्रचार तथा महेंद्र चंद्र नंदी पीठ के प्रोफेसर रहे।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी संपादन : चंदन शर्मा गुलेरी समालोचक काशी नगरी प्रचारिणी पत्रिका।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी प्रमुख रचनाएं : चंद्रधर शर्मा गुलेरी की प्रमुख कहानी सुखमय जीवन है सुखमय जीवन 1911 में प्रकाशित किया गया बुद्ध का कांटा 1911 में प्रकाशित किया गया और फिर उसने कहा था कहानी 1915 में प्रकाशित किया गया प्राची विद्या इतिहास पुरातत्व भाषा विज्ञान और रासायनिक विषयों पर निबंध लेखन। जैसे कछुआ धर्म महर्षि मोही कुता पुराने हिंदी भारतवर्ष डिंगल संस्कृत की प्रमुख निबंध इनके अतिरिक्त अनुवादों का बाढ़ खोज की खोज वैदिक भाषा अंग्रेजी में ए पोयम बाय-बस एक कंट्री ऑन देश प्रेम को लेकर कुछ कविताएं भी लिखी चंद शर्मा गुलेरी 20 सी सती के प्रथम चरण में हिंदी गद्य साहित्य के एक प्रमुख लेखक रहे हैं गुलेरी जी अपने समय में हिंदी संस्कृत अंग्रेजी इत्यादि भाषाओं के प्रकांड विद्वान भी रहे थे।
12th Hindi Usne Kaha Tha Objective
Q. उसने कहा था कहानी के लेखक कौन है?
उत्तर : उसने कहा था कहानी के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी है।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 7 जुलाई 1883 को हुआ।
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Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म स्थान कहां है?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का जन्म स्थान जयपुर के राजस्थान है।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का निधन कब हुआ?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन 12 सितंबर 1922 को हुआ।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी का मूल निवास स्थान कहां है ?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का मूल निवास स्थान गुलेर नामक ग्राम जिला कांगड़ा हिमाचल प्रदेश है।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का पिता का नाम क्या था?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का पिता का नाम पंडित शिवराम है।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की शिक्षा कहां से हुई ?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी का शिक्षा बचपन में संस्कृत की शिक्षा 1899 में इलाहाबाद तथा कोलकाता विश्वविद्यालय से क्रमशः एंट्रेंस और मैट्रिक 1901 में कोलकाता विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए।
Q. चंद्रधर शर्मा गुलरी जी की कौन कौन सी कहानियां है?
उत्तर : चंद्रधर शर्मा गुलेर जी की तीन कहानियां है सुखमय जीवन 1911 में प्रकाशित किया गया बुद्ध का काटा 1911 में प्रकाशित किया गया और फिर उसने कहा था 1915 में प्रकाशित किया गया इस तरह गुलरी जी की कुल 3 कहानियां है।